15 July Gold Rate: 2025 में सोने की कीमतों ने नया रिकॉर्ड बना लिया है। इस समय 24 कैरेट सोने की कीमत ₹72,000 प्रति 10 ग्राम से ऊपर पहुंच चुकी है। यह तेजी वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता, डॉलर की कमजोरी और निवेशकों की बढ़ती रुचि के चलते आई है। भारत में त्योहारों और शादी-ब्याह के सीजन की शुरुआत ने मांग को और मजबूती दी है। देश के बड़े-बड़े शहरों में ज्वेलरी शॉप्स पर भीड़ देखी जा रही है। लोग सोने को सुरक्षित निवेश मानते हैं और ऐसे समय में इसकी ओर रुख कर रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर मौजूदा ट्रेंड जारी रहा तो सोने की कीमतें और बढ़ सकती हैं। निवेशकों के लिए यह समय फायदे का सौदा साबित हो सकता है।
चांदी की तेज रफ्तार
चांदी की कीमतों में भी जबरदस्त उछाल देखने को मिला है। फिलहाल इसकी दर ₹92,000 प्रति किलो से भी ऊपर जा चुकी है। चांदी का उपयोग सिर्फ आभूषणों तक सीमित नहीं है बल्कि इसका व्यापक प्रयोग इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों, मेडिकल उपकरणों और सोलर पैनल्स में भी होता है। औद्योगिक मांग बढ़ने से इसकी कीमतों में तेजी आई है। निवेशकों के लिए यह एक शानदार अवसर बन गया है क्योंकि कम लागत में निवेश कर अच्छा रिटर्न मिलने की उम्मीद बढ़ गई है। बाजार विश्लेषकों का मानना है कि यदि मांग यूं ही बनी रही तो चांदी जल्दी ₹1 लाख प्रति किलो का आंकड़ा पार कर सकती है, जिससे खरीदने वालों की मौज हो गई है।
निवेशकों का बढ़ा रुझान
सोने और चांदी दोनों की कीमतों में आई तेजी के बाद निवेशकों का रुझान फिजिकल गोल्ड और सिल्वर की ओर तेजी से बढ़ा है। पहले जहां लोग सिर्फ म्यूचुअल फंड या शेयर बाजार में पैसा लगाते थे, अब वे रियल एसेट की तरफ लौट रहे हैं। मौजूदा बाजार में महंगाई बढ़ने और ब्याज दरें स्थिर रहने से सोना और चांदी निवेश का बेहतर विकल्प बन गए हैं। गोल्ड बांड्स और सिल्वर ईटीएफ जैसे डिजिटल ऑप्शन की भी डिमांड तेजी से बढ़ रही है। लोग अब लॉन्ग टर्म में मुनाफा कमाने के इरादे से इन धातुओं में निवेश कर रहे हैं, जिससे बाजार में एक्टिव खरीदारों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है।
वैश्विक बाजार का असर
भारत में सोने-चांदी की कीमतों पर वैश्विक बाजार का सीधा प्रभाव पड़ता है। अमेरिका, चीन, यूरोप जैसे बड़े देशों में जब आर्थिक संकट या मंदी का माहौल बनता है, तो निवेशक सुरक्षित विकल्प की तलाश में गोल्ड और सिल्वर की ओर बढ़ते हैं। इसी का असर भारतीय बाजार पर भी पड़ता है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सोने की कीमतें बढ़ने पर भारत में भी यह महंगा हो जाता है। इसके अलावा डॉलर की स्थिति, ब्याज दरों में बदलाव और क्रूड ऑयल की कीमतें भी सोने-चांदी की चाल को प्रभावित करती हैं। 2025 में अब तक जो तेजी देखी जा रही है, उसमें अमेरिका की बैंकिंग नीतियों और आर्थिक अनिश्चितता की अहम भूमिका है।
शादी सीजन की मांग
भारत में शादी और त्योहारों का सीजन जैसे ही शुरू होता है, सोने-चांदी की मांग अपने चरम पर पहुंच जाती है। इस साल भी गर्मियों और सावन के महीने में कई शुभ मुहूर्त हैं, जिसके चलते लोगों ने पहले से ही खरीदारी शुरू कर दी है। खासतौर पर उत्तर भारत, महाराष्ट्र और गुजरात में ज्वेलरी की दुकानों पर भारी भीड़ देखने को मिल रही है। चांदी के बर्तन और गहनों की बिक्री में भी तेजी आई है। परिवारों द्वारा पहले से निवेश की गई रकम को अब इस्तेमाल में लाया जा रहा है और लोग इसे एक परंपरा और निवेश दोनों रूप में देख रहे हैं। इससे भी कीमतों को और बल मिल रहा है।
ज्वेलरी सेक्टर में उछाल
सोने और चांदी की कीमतों में आई तेजी का सीधा असर ज्वेलरी सेक्टर पर पड़ा है। ज्वेलर्स के अनुसार इस साल जुलाई तक बिक्री में 25% तक की वृद्धि देखी गई है। ग्राहक न सिर्फ गहने खरीद रहे हैं बल्कि गोल्ड कॉइन, सिल्वर बार और इन्वेस्टमेंट ज्वेलरी में भी दिलचस्पी दिखा रहे हैं। बड़ी कंपनियों के साथ-साथ लोकल ब्रांड्स को भी फायदा हो रहा है। लोग भारी ज्वेलरी से हटकर अब हल्की और स्मार्ट डिजाइन को तरजीह दे रहे हैं, जिससे वॉल्यूम में बिक्री बढ़ी है। कस्टमाइज गहनों की डिमांड भी बढ़ रही है। ऐसे में ज्वेलरी उद्योग को इस तेजी से जबरदस्त फायदा मिल रहा है।
डिजिटल निवेश विकल्प
अब लोग सिर्फ फिजिकल गोल्ड या चांदी तक सीमित नहीं रह गए हैं। डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के ज़रिए गोल्ड बांड, गोल्ड ईटीएफ, सिल्वर फ्यूचर्स आदि में निवेश करना पहले से आसान हो गया है। युवा वर्ग खासतौर पर डिजिटल इन्वेस्टमेंट की ओर आकर्षित हो रहा है क्योंकि इसमें स्टोरेज और सिक्योरिटी की चिंता नहीं होती। सरकार द्वारा जारी SGB (Sovereign Gold Bond) स्कीम को भी अच्छी प्रतिक्रिया मिल रही है। इन माध्यमों से छोटे निवेशक भी थोड़े पैसों में सोने-चांदी में निवेश कर सकते हैं। इससे न केवल पारंपरिक खरीदारों की संख्या बढ़ी है बल्कि नए इन्वेस्टर्स की एंट्री भी तेजी से हो रही है।
आने वाले दिनों का रुझान
विशेषज्ञों का कहना है कि अगर मौजूदा हालात बने रहे तो सोने की कीमत ₹75,000 और चांदी ₹1,00,000 प्रति किलो तक पहुंच सकती है। त्योहारों का मौसम नजदीक है और मांग में कोई कमी नजर नहीं आ रही। यदि अमेरिका या यूरोप की अर्थव्यवस्था में कोई बड़ा बदलाव आता है, तो इससे सोने-चांदी की कीमतें और बढ़ सकती हैं। हालांकि सरकार द्वारा टैक्स या कस्टम ड्यूटी में बदलाव भी इन धातुओं की कीमतों को प्रभावित कर सकता है। निवेशकों को सलाह दी जाती है कि वे समय देखकर खरीदारी करें और लॉन्ग टर्म सोचें। यह तेजी लंबे समय तक बनी रह सकती है।
खरीदने का सही समय
वर्तमान समय निवेश या खरीदारी करने वालों के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। जिन लोगों ने पहले ही निवेश कर लिया है उन्हें अच्छे रिटर्न मिल रहे हैं, वहीं नए निवेशक भी अब मौका तलाश रहे हैं। मार्केट एक्सपर्ट्स मानते हैं कि अभी भी सोने और चांदी में तेजी का दौर जारी रहेगा। हालांकि खरीदने से पहले मार्केट एनालिसिस जरूर करें और अपने बजट के अनुसार ही कदम उठाएं। SIP जैसे विकल्पों से नियमित निवेश करके भी लोग इस तेजी का लाभ उठा सकते हैं। इस समय की गई समझदारी भरी खरीदारी भविष्य में बड़ा फायदा दिला सकती है।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)
सोने की कीमत इतनी क्यों बढ़ रही है?
अंतरराष्ट्रीय बाजार में अस्थिरता, डॉलर की कमजोरी और शादी-त्योहार के सीजन के कारण मांग बढ़ने से कीमतें बढ़ रही हैं।
क्या अभी चांदी खरीदना सही रहेगा?
अगर आप लॉन्ग टर्म निवेश सोच रहे हैं, तो अभी का समय चांदी में निवेश के लिए उपयुक्त माना जा रहा है।
क्या डिजिटल गोल्ड सुरक्षित है?
हाँ, सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त प्लेटफॉर्म्स से खरीदा गया डिजिटल गोल्ड सुरक्षित और ट्रैक करने योग्य होता है।
सोने में निवेश के कौन-कौन से तरीके हैं?
फिजिकल गोल्ड, गोल्ड ईटीएफ, सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड और ज्वेलरी के रूप में निवेश किया जा सकता है।
क्या यह तेजी आगे भी जारी रहेगी?
विशेषज्ञों के अनुसार अगर वैश्विक हालात ऐसे ही बने रहे तो कीमतों में और तेजी संभव है।