Home Loan Tax Deduction: 2025 में टैक्सपेयर्स को बड़ी राहत देने के लिए सरकार ने होम लोन पर टैक्स डिडक्शन की सीमा बढ़ाने की घोषणा की है। अब तक होम लोन के ब्याज पर ₹2 लाख तक की छूट मिलती थी, लेकिन नए नियमों के तहत यह सीमा बढ़ाकर ₹2.5 लाख कर दी गई है। इसका मतलब है कि अब घर खरीदने वाले लोग अपने होम लोन के ब्याज पर अधिक टैक्स बचा सकेंगे। यह घोषणा बजट के बाद सामने आई है और इसे मध्यमवर्गीय परिवारों को राहत देने वाला कदम माना जा रहा है। इससे घर खरीदने के लिए लोगों को और प्रोत्साहन मिलेगा और रियल एस्टेट सेक्टर को भी मजबूती मिलेगी।
सेक्शन 24 में बदलाव
टैक्स बचत का यह लाभ आयकर अधिनियम की धारा 24(b) के तहत दिया जाता है, जिसमें होम लोन के ब्याज भुगतान पर डिडक्शन की अनुमति होती है। पहले इसकी अधिकतम सीमा ₹2 लाख थी लेकिन अब इसे ₹2.5 लाख कर दिया गया है। यह बदलाव उन्हीं करदाताओं पर लागू होगा जो पुराने टैक्स रिजीम के तहत टैक्स फाइल कर रहे हैं। नए टैक्स स्लैब में इसका लाभ नहीं मिलेगा। इससे उन लोगों को सीधा फायदा होगा जो EMI पर घर खरीद चुके हैं या खरीदने की योजना बना रहे हैं। यह नीति मध्यमवर्ग के घर के सपने को साकार करने की दिशा में एक मजबूत कदम मानी जा रही है।
EMI भरने वालों को राहत
जो लोग होम लोन पर EMI भर रहे हैं, उनके लिए यह टैक्स डिडक्शन एक शानदार बचत का जरिया बन सकता है। मान लीजिए किसी व्यक्ति का सालाना ब्याज ₹2.4 लाख है, तो अब वह पूरी राशि टैक्स से बचा सकता है, जबकि पहले केवल ₹2 लाख तक ही छूट मिलती थी। इससे सालाना टैक्स देनदारी में ₹15,000–₹20,000 तक की अतिरिक्त बचत संभव है। यह राहत हर साल मिलने वाली है, जब तक होम लोन चलता रहेगा। इससे EMI चुकाने का बोझ थोड़ा हल्का महसूस होगा और टैक्स का असर भी कम हो जाएगा।
घर खरीदना होगा सस्ता
टैक्स डिडक्शन बढ़ने से अब घर खरीदना पहले के मुकाबले अधिक फायदेमंद हो गया है। पहले लोग घर की कीमत और EMI के कारण निवेश से हिचकते थे, लेकिन अब टैक्स बचत को जोड़ने पर कुल लागत कम महसूस होगी। रियल एस्टेट कंपनियों का कहना है कि इस फैसले के बाद किफायती आवास (Affordable Housing) सेगमेंट में मांग बढ़ेगी। विशेष रूप से युवा वर्ग और मध्यमवर्गीय परिवार जो पहली बार घर खरीद रहे हैं, उन्हें इस योजना से सबसे अधिक लाभ मिलेगा। इससे होम लोन लेना अब केवल जरूरत नहीं, बल्कि एक समझदारी भरा टैक्स प्लान भी बन गया है।
कौन कर सकता है दावा
यह टैक्स छूट केवल उन्हीं लोगों को मिलेगी जिन्होंने होम लोन लेकर किसी रेसिडेंशियल प्रॉपर्टी में निवेश किया है। यह प्रॉपर्टी खुद के उपयोग की होनी चाहिए या किराए पर दी गई हो। इसके अलावा, यह छूट केवल उस व्यक्ति को मिलेगी जिसके नाम पर लोन है और जो भुगतान कर रहा है। अगर पति-पत्नी दोनों लोन की राशि चुका रहे हैं और सह-स्वामी हैं, तो दोनों को अलग-अलग सीमा तक लाभ मिल सकता है। ध्यान रहे कि यह छूट पुराने टैक्स सिस्टम में ही मान्य है, नए टैक्स रिजीम में यह लाभ नहीं मिलेगा।
अतिरिक्त टैक्स छूट का मौका
अगर आप पहली बार घर खरीद रहे हैं और आपकी प्रॉपर्टी ₹45 लाख से कम की है, तो सेक्शन 80EEA के तहत ₹1.5 लाख की अतिरिक्त छूट का दावा किया जा सकता है। यानी कुल मिलाकर ₹4 लाख तक की टैक्स बचत संभव है – ₹2.5 लाख सेक्शन 24(b) और ₹1.5 लाख सेक्शन 80EEA के अंतर्गत। हालांकि यह छूट उन्हीं करदाताओं को मिलेगी जिन्होंने निर्धारित सीमा के भीतर प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन कराया हो और होम लोन स्वीकृत कराया हो। ऐसे में घर खरीदने का यह समय टैक्स सेविंग की दृष्टि से भी आदर्श माना जा रहा है।
दस्तावेजों की जरूरत
इस टैक्स छूट का लाभ लेने के लिए आपको कुछ जरूरी दस्तावेज आयकर विभाग को प्रस्तुत करने होंगे। इसमें लोन स्टेटमेंट, ब्याज भुगतान का प्रमाण, बैंक का सर्टिफिकेट, प्रॉपर्टी के रजिस्ट्रेशन डॉक्यूमेंट और पैन कार्ड की कॉपी शामिल हैं। ये दस्तावेज इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करते समय मांगे जा सकते हैं। कई बार आयकर विभाग वेरिफिकेशन के लिए भी इन्हें मांग सकता है। इसलिए समय पर सभी डॉक्युमेंट्स को संभाल कर रखना और लोन देने वाले बैंक से ब्याज प्रमाण पत्र लेना बेहद जरूरी होता है।
आयकर योजना की तुलना
नया और पुराना टैक्स सिस्टम में से चुनाव करते समय होम लोन डिडक्शन एक बड़ा अंतर बन सकता है। नए टैक्स सिस्टम में ₹2.5 लाख की यह छूट मान्य नहीं है। इसलिए जिनकी होम लोन ब्याज की राशि अधिक है, उनके लिए पुराने टैक्स सिस्टम में बने रहना ज्यादा फायदेमंद होगा। यदि आप स्टैंडर्ड डिडक्शन, HRA और 80C के अन्य लाभों के साथ इस डिडक्शन को जोड़ते हैं, तो कुल टैक्स बचत लाखों में हो सकती है। इसलिए हर टैक्सपेयर को दोनों सिस्टम की तुलना कर समझदारी से चुनाव करना चाहिए।
क्या कह रहे विशेषज्ञ
टैक्स एक्सपर्ट्स का मानना है कि यह फैसला मध्यमवर्गीय परिवारों के लिए डबल फायदे वाला है – एक तो घर का सपना पूरा होता है, दूसरा टैक्स में तगड़ी बचत होती है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह कदम रियल एस्टेट सेक्टर को भी मजबूत करेगा, जिससे आर्थिक गतिविधियां बढ़ेंगी। साथ ही, इससे बैंकों की लोन वितरण गति भी तेज होगी। कुछ विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि टैक्स सेविंग के लिए सिर्फ घर खरीदना समझदारी नहीं, बल्कि पूरी प्लानिंग और रिसर्च के बाद निर्णय लेना जरूरी है।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)
क्या हर टैक्सपेयर को ₹2.5 लाख की छूट मिलेगी?
नहीं, यह छूट केवल पुराने टैक्स सिस्टम के अंतर्गत होम लोन लेने वाले टैक्सपेयर्स को मिलेगी।
क्या किराए पर दिए गए घर पर भी यह लाभ मिलता है?
हाँ, किराए पर दी गई रेसिडेंशियल प्रॉपर्टी पर भी यह छूट मान्य होती है।
क्या पति-पत्नी दोनों को यह लाभ मिल सकता है?
अगर दोनों सह-स्वामी और सह-लोनधारी हैं तो दोनों को अलग-अलग सीमा तक लाभ मिल सकता है।
80EEA की छूट कब मिलती है?
यह छूट उन्हीं को मिलती है जो पहली बार घर खरीद रहे हैं और प्रॉपर्टी ₹45 लाख से कम की है।
क्या यह लाभ नए टैक्स सिस्टम में भी मिलेगा?
नहीं, यह लाभ केवल पुराने टैक्स रिजीम में मान्य है। नए सिस्टम में यह डिडक्शन नहीं है।