Fixed Deposit Alert: आजकल कई छोटे बैंक और NBFC 7% से अधिक ब्याज का ऑफर दे रहे हैं, जो आम ग्राहकों को तुरंत आकर्षित करता है। पर इतनी ऊंची ब्याज दर के पीछे छिपे खतरे को जानना जरूरी है। ज्यादा ब्याज अक्सर तभी मिलता है जब बैंक की वित्तीय स्थिति कमजोर होती है या वे जल्दी से जल्दी पैसा इकट्ठा करना चाहते हैं। ग्राहक इन ऑफर्स के पीछे छिपी शर्तों को नहीं पढ़ते और फंस जाते हैं। इस तरह के निवेश से पैसा फंसने, वापसी में देरी और बैंक बंद होने का खतरा बना रहता है। इसलिए सिर्फ रिटर्न देखकर फैसले लेने की बजाय सुरक्षा, नियम और भरोसे को प्राथमिकता दें।
क्षेत्रीय बैंक का भरोसा
कई क्षेत्रीय बैंक और सहकारी संस्थाएं जब अधिक ब्याज का वादा करती हैं, तो उनके पीछे अस्थिर बैकग्राउंड छिपा होता है। इन संस्थानों के पास अक्सर पर्याप्त पूंजी नहीं होती या फिर उनकी बैलेंस शीट कमजोर होती है। अगर ये संस्थान अचानक बंद हो जाएं तो ग्राहकों की जमा राशि खतरे में पड़ जाती है। हां, DICGC की तरफ से ₹5 लाख तक की राशि सुरक्षित रहती है, लेकिन उससे ऊपर की रकम पूरी तरह जोखिम में होती है। इसलिए किसी बैंक में निवेश से पहले उसकी RBI मान्यता, रेटिंग, पुराने रिकॉर्ड और ग्राहक समीक्षाओं की पूरी जांच ज़रूरी है।
स्कीम में छिपे पेंच
7% ब्याज देने वाले बैंक अक्सर ऐसी स्कीमें पेश करते हैं जो सुनने में आकर्षक लगती हैं लेकिन जमीनी सच्चाई कुछ और होती है। इन योजनाओं में न्यूनतम निवेश राशि काफी अधिक होती है, FD की समय सीमा लंबी होती है और ब्याज भुगतान सालाना नहीं बल्कि मैच्योरिटी पर दिया जाता है। कुछ स्कीमों में प्रीमैच्योर क्लोजिंग पर भारी पेनल्टी लगती है। ग्राहक सिर्फ ज्यादा ब्याज की वजह से बिना शर्तें पढ़े निवेश कर बैठता है, जो बाद में सिरदर्द बन जाता है। इसलिए ऑफर को ठीक से समझना, हर टर्म एंड कंडीशन को पढ़ना और जानकारी लेने के बाद ही निवेश करना चाहिए।
जोखिम वाली स्कीमें
ज्यादा ब्याज दर वाले निवेश की स्कीमें कभी-कभी Ponzi मॉडल जैसी भी होती हैं, जिसमें नए निवेशकों का पैसा पुराने ग्राहकों को चुकाने में लगाया जाता है। जब नए निवेशक आना बंद हो जाते हैं, तो स्कीम बैठ जाती है और लोग ठगे जाते हैं। ऐसी योजनाओं में पारदर्शिता की कमी होती है और अक्सर किसी न किसी कानूनी दायरे से बचकर बनाई जाती हैं। कई बार संस्थाएं RBI से अप्रूव नहीं होतीं या उन पर पहले से केस चल रहे होते हैं। इसलिए किसी भी अनजान संस्था या बैंक द्वारा दिए गए हाई रिटर्न ऑफर को तुरंत स्वीकार करना आपकी जमा पूंजी को खतरे में डाल सकता है।
डिजिटल ठगी से सावधान
इंटरनेट पर चल रहे स्कैम्स भी आजकल लोगों को ज्यादा ब्याज का लालच देकर फंसा रहे हैं। सोशल मीडिया, SMS, या ईमेल के जरिए नकली बैंक या स्कीम्स के लिंक भेजे जाते हैं। ये लिंक फर्जी वेबसाइट्स की तरफ ले जाते हैं, जहां लोग अपनी जानकारी डाल देते हैं और धोखे का शिकार हो जाते हैं। कई बार मोबाइल ऐप्स के जरिए भी ऐसी ठगी की जाती है। ग्राहकों को चाहिए कि वे किसी भी लिंक या कॉल पर भरोसा न करें, बैंक की ऑफिशियल वेबसाइट से ही जानकारी लें और अनजान नंबरों को ब्लॉक करें। डिजिटल सुरक्षा अब निवेश से भी बड़ा मुद्दा बन चुका है।
मान्यता प्राप्त बैंक चुनें
निवेश हमेशा ऐसे बैंक या संस्थान में करें जो आरबीआई द्वारा पूरी तरह से मान्यता प्राप्त हो और जिनकी साख मजबूत हो। जैसे – SBI, HDFC, ICICI, Axis जैसे बैंक भले ही थोड़ा कम ब्याज दें, लेकिन इनका ट्रैक रिकॉर्ड और ग्राहक सुरक्षा सिस्टम मजबूत होता है। इन बैंकों की स्कीमें पूरी तरह से पारदर्शी होती हैं और किसी भी परिस्थिति में ग्राहक को नुकसान नहीं होता। जब भी कोई स्कीम आकर्षक लगे, तो उसकी तुलना इन बड़े बैंकों की योजनाओं से जरूर करें। याद रखें, निवेश का उद्देश्य केवल रिटर्न नहीं बल्कि सुरक्षा भी उतना ही जरूरी होता है।
निवेश से पहले करें जांच
ब्याज दर जितनी ज्यादा होगी, जोखिम भी उतना ही ज्यादा होगा – ये निवेश की पहली सीख है। इसलिए किसी भी स्कीम में पैसा लगाने से पहले कुछ ज़रूरी बातें जांचें: बैंक का रजिस्ट्रेशन वैध है या नहीं, RBI की वेबसाइट पर उसका नाम मौजूद है या नहीं, और वह संस्था DICGC बीमा के तहत आती है या नहीं। साथ ही संस्था का बैलेंस शीट, क्रेडिट रेटिंग और पूर्व ग्राहक अनुभव की भी जांच करें। अगर इनमें से कोई एक भी चीज़ संदिग्ध लगे तो निवेश न करें। आपकी मेहनत की कमाई एक गलत फैसले से बर्बाद हो सकती है।
एजेंटों के झांसे से बचें
कई बार एजेंट, मित्र या रिश्तेदार किसी स्कीम को बहुत विश्वसनीय बताकर आपको उसमें पैसा लगाने के लिए प्रेरित करते हैं। वे यह दावा करते हैं कि उन्हें पहले से अच्छा रिटर्न मिला है और अब आपको भी फायदा होगा। लेकिन जरूरी नहीं कि जो किसी और के लिए सही रहा हो, वह आपके लिए भी सुरक्षित हो। अक्सर ऐसे एजेंट कमीशन पर काम करते हैं और उन्हें आपके लाभ से ज्यादा अपना फायदा दिखता है। ऐसे में किसी की बातों में आए बिना खुद जानकारी इकट्ठा करें, नियम पढ़ें और उसके बाद ही कोई निर्णय लें।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
7% ब्याज देने वाले बैंक क्या भरोसेमंद होते हैं?
हमेशा नहीं। अगर बैंक छोटा या अनजान है, तो जांच करना जरूरी है कि वह RBI से मान्यता प्राप्त है या नहीं।
क्या ज्यादा ब्याज मतलब ज्यादा खतरा होता है?
हां, आमतौर पर जहां ज्यादा रिटर्न मिलता है, वहां जोखिम भी ज्यादा होता है। सुरक्षा पहले देखें।
छोटे बैंक में जमा करना सही है?
यदि बैंक की रेटिंग, रेपुटेशन और बैलेंस शीट मजबूत हो, तभी वहां निवेश करना चाहिए।
क्या FD मैच्योरिटी से पहले तोड़ी जा सकती है?
हां, लेकिन कई स्कीमों में पेनल्टी लगती है या ब्याज दर कम हो जाती है।
कैसे पता करें कि स्कीम असली है या नकली?
RBI की वेबसाइट से बैंक की वैधता जांचें, स्कीम की शर्तें पढ़ें और ग्राहक समीक्षाएं देखें।