New MRP Policy: सरकार अब MRP (Maximum Retail Price) सिस्टम को पूरी तरह पारदर्शी और उपभोक्ता-हितैषी बनाने की दिशा में बड़ा कदम उठा रही है। अब तक रिटेलर्स अक्सर MRP से ऊपर कीमत वसूलते थे या भ्रम फैलाते थे कि छूट मिल रही है जबकि असल कीमत ज्यादा होती थी। इसी को रोकने के लिए सरकार एक नया मूल्य निर्धारण मॉडल लागू करने जा रही है जिसमें वस्तु की असली कीमत, छूट, टैक्स और अंतिम रेट – सबकुछ स्पष्ट रूप से लेबल पर दिखाना अनिवार्य होगा। इस बदलाव से उपभोक्ताओं को धोखा खाने से राहत मिलेगी और दुकानदारों की मनमानी पर अंकुश लगेगा। सरकार का उद्देश्य है कि हर खरीदार यह जान सके कि वह किस चीज़ पर कितनी राशि और टैक्स चुका रहा है।
दोहरी कीमतों पर रोक
अब तक कई कंपनियां एक ही उत्पाद पर अलग-अलग प्लेटफॉर्म या लोकेशन पर दोहरी कीमत वसूलती थीं, जैसे मॉल में एक रेट और छोटे दुकानों में दूसरा। नए नियम के तहत यह अब पूरी तरह प्रतिबंधित किया जा रहा है। यदि कोई उत्पाद अलग-अलग कीमत पर बिकता पाया गया तो उस कंपनी पर जुर्माना लगाया जाएगा। सरकार का मानना है कि एक ही प्रोडक्ट की कीमत पूरे भारत में एक समान होनी चाहिए ताकि उपभोक्ता भ्रमित न हों। साथ ही, उपभोक्ता कोर्ट में ऐसे मामलों में तुरंत शिकायत दर्ज कर सकेंगे और संबंधित कंपनी या विक्रेता को जवाबदेह बनाया जाएगा।
छूट की सही जानकारी
नए सिस्टम के तहत जो भी छूट दी जा रही है – जैसे 10% या 20% – वह किस आधार पर है, यह भी स्पष्ट करना होगा। कंपनियों को यह बताना होगा कि डिस्काउंट किस कीमत से घटाकर दिया गया है – पुरानी कीमत या नकली MRP से नहीं। इससे ग्राहकों को सही अनुमान लगेगा कि उन्हें असल में कितनी छूट मिल रही है। अक्सर दुकानों पर फर्जी “सेल” लगाई जाती है जिसमें पहले कीमत बढ़ाकर फिर छूट दिखा दी जाती है। इस पर अब लगाम लगेगी क्योंकि हर छूट का आधार अब दस्तावेजी होगा और MRP के साथ उसकी तुलना भी दिखानी होगी।
डिजिटल बिलिंग अनिवार्य
सरकार डिजिटल ट्रांजैक्शन को बढ़ावा देने के लिए अब डिजिटल बिलिंग को भी अनिवार्य कर सकती है, खासकर मॉल्स, शोरूम और ब्रांडेड स्टोर में। नए नियमों के तहत ग्राहक को सिर्फ हाथ से लिखा बिल नहीं, बल्कि कंप्यूटर जनरेटेड, टैक्स सहित स्पष्ट बिल देना होगा। इसमें उत्पाद का नाम, MRP, दी गई छूट, टैक्स की दर और अंतिम भुगतान की राशि शामिल होगी। इससे कोई भी ट्रांजैक्शन रिकॉर्ड में रहेगा और ग्राहक को बाद में शिकायत दर्ज कराने में आसानी होगी। साथ ही यह कदम जीएसटी चोरी को भी रोकने में मदद करेगा क्योंकि हर लेन-देन डिजिटल सिस्टम में दर्ज होगा।
MRP के साथ QR कोड
सरकार MRP लेबलिंग को डिजिटल बनाने के लिए एक नया इनोवेशन ला रही है – उत्पाद पर QR कोड का अनिवार्य प्रावधान। इस कोड को स्कैन करते ही ग्राहक को पूरी जानकारी मिल जाएगी – जैसे मैन्युफैक्चरिंग डेट, बेस प्राइस, जीएसटी दर, डीलर मार्जिन और ऑफर की डिटेल्स। इससे पारदर्शिता बढ़ेगी और ग्राहक किसी भी भ्रम से बचेगा। QR कोड के ज़रिए ग्राहक रीयल टाइम में जान सकेगा कि बाजार में उस उत्पाद की कीमत क्या चल रही है और वह कितना मुनाफा चुका रहा है। इसे जल्द ही चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा और मोबाइल ऐप्स के जरिए भी सपोर्ट मिलेगा।
दुकानदारों की जवाबदेही
नए नियमों के तहत अब दुकानदार भी पूरी तरह जिम्मेदार होंगे कि वह ग्राहक को सही और स्पष्ट जानकारी दे। अगर कोई रिटेलर नकली MRP, गलत डिस्काउंट या अधूरी जानकारी देता है तो उस पर सीधा जुर्माना लगाया जाएगा और लाइसेंस रद्द करने की प्रक्रिया भी शुरू की जा सकती है। सरकार उपभोक्ता फोरम और जिला कलेक्टर स्तर पर निगरानी टीम बना रही है जो दुकानों का निरीक्षण करेंगी। साथ ही, ग्राहक को MRP और डिस्काउंट की पुष्टि के लिए अधिकार दिया जाएगा कि वह तुरंत शिकायत दर्ज कर सके और 7 दिन के भीतर कार्रवाई हो।
ऑनलाईन शॉपिंग में पारदर्शिता
ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर अक्सर छूट का खेल और भी उलझा होता है। नए नियमों के अंतर्गत Amazon, Flipkart, Meesho जैसी वेबसाइट्स पर भी MRP, डिस्काउंट का आधार और अंतिम कीमत का पूरा ब्योरा देना अनिवार्य होगा। इसके साथ ही, ग्राहकों को यह बताना भी जरूरी होगा कि जो छूट दी गई है वह कितने दिन तक वैध है। इस सिस्टम से उपभोक्ता भ्रम में नहीं रहेगा और डिजिटल प्लेटफॉर्म पर खरीदारी का अनुभव सुरक्षित और भरोसेमंद बनेगा।
राज्यों में चरणबद्ध लागू
सरकार इस नए MRP नियम को पूरे देश में एक साथ लागू करने के बजाय चरणबद्ध ढंग से शुरू करेगी। पहले चरण में यह नियम मेट्रो शहरों और बड़े रिटेल नेटवर्क पर लागू होगा, फिर छोटे शहरों और गांवों तक विस्तार होगा। इसके लिए केंद्र सरकार राज्यों के उपभोक्ता विभागों को गाइडलाइन दे रही है और ज़िलावार ट्रेनिंग भी शुरू हो चुकी है। उम्मीद की जा रही है कि 6 महीनों के भीतर देशभर में MRP का नया सिस्टम पूरी तरह लागू हो जाएगा और उपभोक्ताओं को हर लेन-देन में पारदर्शिता का अनुभव होगा।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
1. MRP सिस्टम में क्या बदलाव हो रहा है?
अब हर उत्पाद पर MRP, छूट, टैक्स और अंतिम कीमत स्पष्ट रूप से दिखाई जाएगी।
2. क्या दुकानदार अब MRP से ऊपर वसूल सकते हैं?
नहीं, ऐसा करने पर जुर्माना और लाइसेंस रद्द करने की कार्रवाई होगी।
3. QR कोड का क्या लाभ होगा?
ग्राहक को उत्पाद की पूरी जानकारी मोबाइल स्कैन के जरिए मिल जाएगी।
4. क्या ऑनलाइन शॉपिंग पर भी ये नियम लागू होंगे?
हां, सभी ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स को नए नियमों का पालन करना होगा।
5. यह नियम कब तक लागू होंगे?
पहले चरण में 6 महीने के भीतर मेट्रो शहरों में लागू किए जाएंगे।